टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण और उपचार – Type 2 Diabetes Ke Lakshan Aur Prakar
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है। यह डायबिटीज का सामान्य रूप है, जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है। यह डायबिटीज का सामान्य रूप है, जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
मेटफॉर्मिन को एक प्रभावी दवा माना जाता है और आमतौर पर मेटफॉर्मिन का उपयोग डायबिटीज के मरीजों द्वारा किया जाता है। एपोटेक्स की मानें, तो मेटफॉर्मिन में एन-नाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) की ज़्यादा मात्रा पाई जाती है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स को जीआई के नाम से भी जाना जाता है, जिसका इस्तेमाल यह मापने के लिए किया जाता है कि स्पष्ट खाद्य स्रोत ब्लड शुगर के लेवल को कितना बढ़ाते हैं।
डायबिटीज वाले लोगों को आमतौर पर बिना स्टार्च वाली सब्जियां ज़्यादा मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन वह अक्सर इसे अनदेखा करते हैं। बिना स्टार्च वाली सब्जियां एक पौष्टिक समूह हैं
ग्लूकोज को रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) भी कहते हैं, जिसके लिए हमारे शरीरिक प्रणाली का ठीक से काम करना ज़रूरी है। अक्सर हमारा ग्लूकोज सही लेवल में होता है, जिस पर अक्सर हमारा ध्यान नहीं जाता है
रक्त में शर्करा (चीनी) की मात्रा को रक्त शर्करा यानी ब्लड ग्लूकोज कहते हैं। एक 70 किलोग्राम वाले व्यक्ति के शरीर में लगभग 4 ग्राम ग्लूकोज हर समय मौजूद रहती है, लेकिन आमतौर पर खाना खाने के बाद रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज को समझने के लिए सबसे पहले आपको इस बारे में जानना ज़रूरी है कि आपका शरीर कैसे काम करता है। आप जो भोजन खाते हैं, उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट शुगर मॉलिक्यूल्स में टूट जाते हैं
गर्भकालीन डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज भी कहते हैं। इस स्थिति में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इस प्रकार की डायबिटीज पहली बार गर्भवती महिलाओं में देखी गयी है।
डायबिटीज वाले मरीजों को बार-बार अपने डायबिटीज को मापने की सलाह दी जाती है, जिसे आप ए1सी जैसे अलग-अलग परीक्षणों के ज़रिए माप सकते हैं। अगर आप भोजन के बाद अपने रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का माप लेते हैं
मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) की स्थिति में शरीर में मौजूद तरल पदार्थ असंतुलित हो जाते हैं, जिसका सबसे बड़ा लक्षण या खासियत बार-बार पेशाब आना और ज़्यादा प्यास लगना है।
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