Contents
- 1 मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) क्या है? Diabetes Insipidus Kya Hai?
- 2 मूत्रमेह के लक्षण – Diabetes Insipidus Ke Lakshan
- 3 मूत्रमेह के कारण – Diabetes Insipidus Ke Karan
- 4 मूत्रमेह के प्रकार – Diabetes Insipidus Ke Prakar
- 5 मूत्रमेह बनाम मधुमेह – Diabetes Insipidus v/s Diabetes Mellitus
- 6 मूत्रमेह के जोखिम – Diabetes Insipidus Ke Risk
- 7 मूत्रमेह की जटिलताएं – Diabetes Insipidus Ki Complications
- 8 मूत्रमेह की रोकथाम – Diabetes Insipidus Preventions
- 9 मूत्रमेह का निदान – Diabetes Insipidus Ka Nidan
- 10 मूत्रमेह का उपचार – Diabetes Insipidus Ka Upchar
- 11 मंत्रा केयर – Mantra Care
मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) क्या है? Diabetes Insipidus Kya Hai?
मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) की स्थिति में शरीर में मौजूद तरल पदार्थ असंतुलित हो जाते हैं, जिसका सबसे बड़ा लक्षण या खासियत बार-बार पेशाब आना और ज़्यादा प्यास लगना है। आमतौर पर डायबिटीज इन्सिपिडस के मरीज एक दिन में लगभग 20 लीटर मूत्र का उत्पादन करते हैं, इसलिए डायबिटीज इन्सिपिडस मरीजों द्वारा इतनी मात्रा में तरल पदार्थ खोने के बाद प्यास लगना आम है।
डायबिटीज इन्सिपिडस एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जिसके कारण पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), अवसाद (डिप्रेशन), दौरे आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। किसी व्यक्ति में होने वाली बार-बार पेशाब की समस्या उसे थका देती है। डायबिटीज इन्सिपिडस के मरीजों द्वारा यह थकान खासतौर से रात के समय में महसूस की जाती है। बार-बार पेशाब की समस्या नींद में खलल डालती है और तनाव का कारण बनती है, जिससे व्यक्ति को अवसाद का सामना करना पड़ सकता है। कुछ गंभीर मामलों में ज़्यादा तरल पदार्थ के नुकसान की वजह से डायबिटीज इन्सिपिडस दौरे और डिहाइड्रेशन का कारण भी बन सकती है।
मूत्रमेह के लक्षण – Diabetes Insipidus Ke Lakshan
आमतौर पर डायबिटीज के सभी मामलों का मुख्य लक्षण ज़्यादा मात्रा में पतला पेशाब आना है। दूसरा सबसे आम लक्षण पॉलीडिप्सिया या ज़्यादा प्यास है और ऐसे में बार-बार पेशाब आने से पानी की कमी हो जाती है। डायबिटीज वाले मरीज प्यास बुझाने के लिए ज़्यादा मात्रा में पानी का सेवन करते हैं और पेशाब करने की जरूरत नींद में खलल डाल सकती है। हर दिन पारित मूत्र की मात्रा अक्सर 3 से 20 लीटर के बीच होती है और सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस के मामलों में त्यागे गए मूत्र की मात्रा 30 लीटर तक होती है।
डिहाइड्रेशन इसका एक अन्य माध्यमिक लक्षण है, जिसका मुख्य कारण पानी की कमी है। ऐसी समस्या खासतौर से उन बच्चों देखी जाती है, जो प्यास बुझाने के लिए पूरी तरह परिपक्व नहीं हो सकते हैं। इसके कारण बच्चों को बुखार, उल्टी और दस्त का अनुभव हो सकता है। साथ ही यह बच्चों के विकास में देरी का कारण भी बन सकता है। अन्य विकार वाले लोग पानी की कमी को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। इनमें डिमेंशिया वाले लोग भी शामिल हैं, जो डिहाइड्रेशन के संभावित खतरे का सामना कर सकते हैं।
ज़्यादा डिहाइड्रेशन के कारण हाइपरनाट्रेमिया की समस्या भी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त के अंदर सीरम की सोडियम सांद्रता लो टाइड रिटेंशन के कारण बहुत ज़्यादा हो जाती है और शरीर की कोशिकाओं को पानी की कमी का अनुभव होता है। हाइपरनाट्रेमिया की समस्या तंत्रिका संबंधी लक्षण पैदा कर सकती है, जिनमें मस्तिष्क और तंत्रिका की मांसपेशियों में अति सक्रियता, भ्रम, चक्कर आना, दौरे और कोमा शामिल है। उपचार के बिना सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस हमेशा के लिए किडनी को खराब कर सकती है। अगर नेफ्रोजेनिक डीआई में पानी का सेवन पर्याप्त है, तो गंभीर जटिलताएं दुर्लभ हैं।
मूत्रमेह के कारण – Diabetes Insipidus Ke Karan
किडनी शरीर में सारे रक्त को बार-बार छानने और सभी अपशिष्ट उत्पादों को हटाने का काम करती है। मुख्य रूप से पानी रक्त के तरल भाग से दोबारा अवशोषित होता है। हालांकि, थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ वाले अपशिष्ट उत्पाद पेशाब के ज़रिए उत्सर्जित होते हैं। जब आपके शरीर में पानी का स्तर कम हो जाता है, तो पिट्यूटरी ग्रंथि शरीर में पानी को बचाने और मूत्र उत्पादन को रोकने के लिए एडीएच रिलीज़ है। इसके लिए किडनी द्वारा बनाए गए तरल पदार्थ को रक्त प्रवाह में वापस जाने की ज़रूरत होती है।
हाइपोथैलेमस से उत्पन्न होने वाला एडीएच मस्तिष्क का एक क्षेत्र है, जो भूख को नियंत्रित करता है। एडीएच या वैसोप्रेसिन किडनी में तरल पदार्थ को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन डायबिटीज इन्सिपिडस के मामले में वैसोप्रेसिन किडनी से मूत्र उत्पादन को नियंत्रित करके आपके शरीर में पानी को नियंत्रित नहीं कर सकती है। इससे पेशाब में पानी की ज़्यादा मात्रा निकल जाती है। डायबिटीज इन्सिपिडस के सामान्य कारण हो सकते हैं, जैसे:
- आनुवंशिक समस्याएं
- सिर की चोट
- ऑटोइम्यून डिजीज
मूत्रमेह के प्रकार – Diabetes Insipidus Ke Prakar
आमतौर पर डायबिटीज के प्रकारों को चार श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें निम्नलिखित हैंः
सेंट्रल इन्सिपिडस
सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस तब होता है, जब व्यक्ति की हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि खराब जाती है। यह वैसोप्रेसिन हार्मोन के सामान्य उत्पादन, भंडारण और जारी होने में रुकावट पैदा करता है। वैसोप्रेसिन की कमी के कारण किडनी शरीर से ज़्यादा तरल पदार्थ छोड़ती है, जिससे पेशाब बढ़ता है। हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि डैमेज होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- सर्जरी
- सूजन
- सिर की चोट
- फोड़ा (ट्यूमर)
कभी-कभी सेंट्रल इन्सिपिडस का कारण अज्ञात होता है। हालांकि, कभी-कभी यह जेनेटिक हो भी सकता है, जिसके लिए वैसोप्रेसिन पैदा करने वाला जीन जिम्मेदार होता है।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज तब होता है, जब किडनी पहले की तरह वैसोप्रेसिन पर सामान्य प्रतिक्रिया नहीं करती है। इस कारण किडनी मरीज के रक्तप्रवाह से बहुत ज़्यादा तरल पदार्थ निकालते हैं। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस आनुवंशिक परिवर्तन जैसे उत्परिवर्तन या विरासत में मिले जीन में बदलाव की वजह से हो सकता है। ऐसे मामलों में किडनी वैसोप्रेसिन पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देती है। इस प्रकार के डायबिटीज इन्सिपिडस के कुछ अन्य संभावित कारण हो सकते हैं:
- गंभीर किडनी की बीमारी
- लिथियम जैसी कुछ दवाएं
- रक्त प्रवाह में पोटेशियम का निम्न स्तर
- रक्तप्रवाह में कैल्शियम का उच्च स्तर
- मूत्र पथ की रुकावट
डिप्सोजेनिक इन्सिपिडस/प्राइमरी पॉलीडिप्सिया
डिप्सोजेनिक डायबिटीज को प्राथमिक पॉलीडिप्सिया भी कहते हैं। इस स्थिति के कारण हाइपोथैलेमस द्वारा नियंत्रित प्यास तंत्र में दोष है, जिसमें मरीज द्वारा लिया गया पानी वैसोप्रेसिन रिलीज को दबा देता है।
वैसोप्रेसिन की कमी से किडनी बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ छोड़ती है। इस प्रकार के इन्सिपिडस के कारण सिर की चोट, ट्यूमर, सूजन जैसे अन्य समस्याओं के बराबर होते हैं। डिप्सोजेनिक इन्सिपिडस के अन्य कारणों में कुछ दवाएं या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज इन्सिपिडस
जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान होती है। इसमें मां और बच्चे को जोड़ने वाला अस्थायी अंग यानी प्लेसेंटा एक एंजाइम बनाता है, जो मां के एडीएच को नष्ट कर देता है। इसके अलावा यह हार्मोन जैसे केमिकलों के उच्च स्तर की वजह से भी हो सकता है, जो एडीएच के प्रति किडनी में कम संवेदनशीलता विकसित करते हैं। इस स्थिति को वैसोप्रेसिन भी कहा जाता है, जो गर्भावस्था के बाद गायब हो जाता है।
मूत्रमेह बनाम मधुमेह – Diabetes Insipidus v/s Diabetes Mellitus
आमतौर पर सुनने में एक जैसे लगने वाले मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) और मधुमेह (डायबिटीज मेलिटस) को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम होता है, लेकिन असल में दोनों ही एक दूसरे से काफी अलग हैं। डायबिटीज मेलिटस में रक्त शर्करा सामान्य से ज़्यादा बढ़ जाती है, जिसमें शुगर से छुटकारा पाने के लिए बार-बार पेशाब आता है, जबकि डायबिटीज इन्सिपिडस में कारण अलग-अलग होते हैं। इस प्रकार डायबिटीज इन्सिपिडस और डायबिटीज मेलिटस में कोई संबंध नहीं है, लेकिन दोनों में बार-बार पेशाब आना और ज़्यादा प्यास लगना आम है। हालांकि, इन दोनों लक्षणों के मूल कारण अलग-अलग है।
निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं से आपको मूत्रमेह यानी डायबिटीज इन्सिपिडस को समझने में मदद मिलेगी।
- डायबिटीज इन्सिपिडस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर पानी के संतुलन को नियंत्रित नहीं कर पाता है और इसके कारण ज़्यादा पेशाब आता है।
- बड़ी मात्रा में पतला मूत्र उत्सर्जित होता है, जिससे प्यास बढ़ती है और पानी का सेवन बढ़ जाता है।
- अगर इस स्थिति में ज़्यादा पानी नहीं पिया जाए, तो यह गंभीर डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है। गंभीर मामलों में मदद के लिए मरीज को अपनी प्यास बुझाने की ज़रूरत होती है। ऐसा नहीं किये जाने पर इसके कारण दौरे पड़ने की समस्या भी हो सकती है।
मूत्रमेह के जोखिम – Diabetes Insipidus Ke Risk
यह वैसोप्रेसिन की कमी के कारण होता है या जब इसका ठीक से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यह स्थितियां अलग-अलग कारणों से हो सकती हैं, लेकिन इसका मुख्य जोखिम कारक आनुवंशिक विरासत है। इसके अनुसार आपके माता-पिता से विरासत में मिले जीन में विशेष बदलाव डायबिटीज इन्सिपिडस का कारण बन सकते हैं। हालांकि, ऐसा एक से दो प्रतिशत मामलों में ही देखा जाता है। पिट्यूटरी ग्रंथि के पास सिर में चोट या सर्जरी भी डायबिटीज इन्सिपिडस का अन्य कारक हो सकती है, इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने सिर की चोट को लेकर सावधान रहना चाहिए।
मूत्रमेह की जटिलताएं – Diabetes Insipidus Ki Complications
डायबिटीज की जटिलताएं इसे नियंत्रित नहीं किये जाने या उचित उपचार नहीं मिलने के कारण होती हैं, जैसे-
डिहाइड्रेशन
डिहाइड्रेशन की स्थिति में आपका शरीर पानी को बरकरार रखने में असमर्थ होता है। आपके लगातार पानी पीने के बावजूद शरीर में पानी की कमी होती है, जो डिहाइड्रेशन जैसी कुछ अन्य गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। आमतौर पर शुरुआत में पानी की कमी गंभीर के बजाय सामान्य लगती है, लेकिन तुरंत डॉक्टर से संपर्क या इलाज नहीं किये जाने पर गंभीर खतरे का कारण बन सकती है। डायबिटीज इन्सिपिडस वाले लोगों में डिहाइड्रेशन के अनुभव की ज़्यादा संभावना है। ऐसे में डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए ज़रूरी है कि आप इसके लक्षणों और इलाज के बारे में जानें।
- मुंह या होंठ का सूखना
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- भ्रम की स्थिति
आपके द्वारा लगातार पिये गये पानी से डिहाइड्रेशन का इलाज करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा आप अस्पताल में अंतःस्राव द्रव प्रतिस्थापन (इंट्रावेनस फ्लूइड रिप्लेसमेंट) की मदद से भी अपने शरीर में पानी के स्तर को दोबारा संतुलित कर सकते हैं, लेकिन यह उपचार गंभीर स्थिति वाले मामलों में ही दिया जाता है।
इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
एक अनुपचारित डायबिटीज इन्सिपिडस से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होने की संभावना ज़्यादा होती है। साथ ही इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और पानी की कमी भी रहती है। सोडियम, पोटेशियम, क्लोरीन, मैग्नीशियम, बाइकार्बोनेट जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स में एक छोटा इलेक्ट्रिक चार्ज होता है, जो शारीरिक कार्यों के लिए ज़रूरी होता है। जब इन इलेक्ट्रोलाइट्स को रखने वाला पानी मूत्र के ज़रिए बाहर निकल जाता है, तो इलेक्ट्रोलाइट्स की एकाग्रता बढ़ जाती है।निम्न कारणों से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन शरीर के कार्य में रुकावट पैदा कर सकता हैः
- थकान
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- चिढ़चिढ़ापन
पानी के सेवन से इसका इलाज संभव है।
नींद की कमी
डायबिटीज इन्सिपिडस भी नींद की कमी का कारण बन सकता है, क्योंकि बार-बार पेशाब जाने से इससे पीड़ित मरीजों की नींद में खलल पड़ता है। उन्हें पेशाब करने के लिए कई बार रात में उठना पड़ता है, जिससे ऐसे मरीजों के रात और दिन दोनों ही तनावपूर्ण बन सकते हैं।
मूत्रमेह की रोकथाम – Diabetes Insipidus Preventions
इस स्थिति को रोकना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह अनुवांशिक या अन्य गैर-रोकथाम वाली समस्याओं के कारण होती है। हालांकि, इसके लक्षणों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित ज़रूर किया जा सकता है। इस स्थिति का लंबे समय तक इलाज किया जाता है, क्योंकि इससे यह बीमारी लंबे समय के लिए हो सकती है।
मूत्रमेह का निदान – Diabetes Insipidus Ka Nidan
एक शारीरिक जांच में इस बीमारी का निदान किया जा सकता है। इसमें आपके डॉक्टर को एक ज़्यादा बड़ा ब्लैडर दिखाई दे सकता है या आप डिहाइड्रेशन से पीड़ित भी हो सकते हैं, जिसके लिए डॉक्टर फिर से कुछ टेस्ट करते हैं, जैसे:
- मूत्र परीक्षण- इस टेस्ट में आपके यूरिन का सैंपल जांच के लिए लैब में भेजा जाता है, जिससे पता लगाया जाता है कि यह पतला है या केंद्रित। आपके पेशाब में मौजूद ग्लूकोज़ से पता लगाया जाता है कि आप डायबिटीज़ मेलिटस या डायबिटीज इन्सिपिडस से पीड़ित हैं या नहीं।
- खून की जांच- रक्त परीक्षण से यह जानने में मदद मिलती है कि आपको डायबिटीज इन्सिपिडस है या डायबिटीज मेलिटस। इससे आपके डॉक्टर को स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।
- फ्ल्यूड डेपरीवेशन टेस्ट- इस परीक्षण का इस्तेमाल आपके शरीर के वजन अनुपात, मूत्र एकाग्रता और रक्त में सोडियम की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। यह परीक्षण करने से पहले आपको थोड़े समय तक कुछ भी नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
- एमआरआई- एमआरआई तब की जाती है, जब किसी समस्या की जांच के लिए आपके हाइपोथेलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि की विस्तृत तस्वीर की ज़रूरत होती है।
मूत्रमेह का उपचार – Diabetes Insipidus Ka Upchar
इसे थोड़ी कोशिशों और देखभाल से मैनेज किया जा सकता है। पानी की कमी को पूरा करने के लिए मरीज को लगातार और पर्याप्त मात्रा में पानी या तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। यह बीमारी उन लोगों के लिए एक समस्या हो सकती है, जो तरल पदार्थों को कम मात्रा में लेते हैं। किसी भी बीमारी का सबसे अच्छा इलाज उसके मूल कारणों पर काम करना है। डायबिटीज इन्सिपिडस या डायबिटीज मेलिटस के गंभीर कारणों का इलाज कुछ दवाओं के इस्तेमाल से भी किया जा सकता है। अन्य उपचार इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस प्रकार का डायबिटीज इन्सिपिडस है।
सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस में ज़्यादा पेशाब को नियंत्रित करने के लिए वैसोप्रेसिन को डेस्मोप्रेसिन जैसी दवाओं से बदल दिया जाता है। यह दवा नेज़ल स्प्रे, इंजेक्शन या ओरल टैबलेट जैसे अलग-अलग तरीकों में उपलब्ध है। अगर नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस की बात करें, तो इसका इलाज करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इंडोसिन, माइक्रोज़ाइड जैसी दवाएं नेफ्रोजेनिक डायबिटीज के लक्षणों को कम कर सकती हैं। अगर यह स्थिति दवाओं के कारण होती है, तो उन्हें ठीक करने में मदद मिल सकती है। इस स्थिति में किडनी के उपचार की ज़रूरत हो सकती है।
गर्भावस्था से संबंधित डायबिटीज इन्सिपिडस का उपचार केंद्रीय डायबिटीज के उपचार की तरह किया जा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद यह स्थिति गायब हो जाती है, जिसके लिए गर्भावस्था के दौरान आप डेस्मोप्रेसिन का इस्तेमाल कर सकती हैं। डिप्सोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के लिए कोई उपचार मौजूद नहीं है, लेकिन कुछ चीजें लक्षणों को कम कर सकती हैं, जैसे अपने मुंह को नम करने के लिए खट्टी कैंडी या आइस चिप्स खाकर अपने लार के प्रवाह को बढ़ाना। सोने से पहले डेस्मोप्रेसिन की एक छोटी डोज़ भी रात में बार-बार पेशाब आने को रोकने में मदद कर सकती है।
मंत्रा केयर – Mantra Care
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