Contents
- 1 डायबिटीज की जांच क्या है? Diabetes Tests Kya Hai?
- 2 डायबिटीज की जांच की ज़रूरत – Diabetes Tests Ki Zarurat
- 3 रक्त शर्करा का स्तर – Blood Sugar Level
- 4 रक्त शर्करा स्तर तालिका – Blood Sugar Level Chart
- 5 डायबिटीज की जांच के तरीके – Diabetes Test Ke Tareeke
- 6 गर्भकालीन डायबिटीज की जांच – Gestational Diabetes Test
- 7 घर पर डायबिटीज की जांच – Ghar Par Diabetes Test
- 8 मंत्रा केयर – Mantra Care
डायबिटीज की जांच क्या है? Diabetes Tests Kya Hai?
अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो रक्त शर्करा का स्तर मैनेज या कंट्रोल करने के लिए डायबिटीज की जांच या परीक्षण करना बहुत ज़रूरी है। ज़्यादा गंभीर या जटिल नहीं होने पर ही आप घर पर डायबिटीज की जांच कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी गंभीर स्थिति में आपको उचित डायबिटीज परीक्षण की ज़रूरत होती है और इसके लिए आपको डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
जीवन भर रहने वाली डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, समय पर उचित इलाज के ज़रिए इसे मैनेज या कंट्रोल ज़रूर किया जा सकता है। इसके लिए आप लेख में बताए सुझाव को आपना सकते हैं। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए रक्त शर्करा परीक्षण सबसे ज़रूरी है। यह निम्नलिखित तरीकों से आपकी मदद कर सकता है:
- डायबिटीज की दवाओं पर नज़र रखें, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर प्रभावित कर सकती हैं।
- निर्धारित करें कि आपका रक्त शर्करा का स्तर उच्च या निम्न है या नहीं।
- अपने उपचार और रिकवरी को मॉनिटर करें।
- रक्त शर्करा स्तर पर पोषण और व्यायाम के प्रभावों को जानें।
रक्त शर्करा स्तर की जांच का सही विकल्प और समय जानने के लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आमतौर पर यह इस पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का डायबिटीज है और डायबिटीज के इलाज के लिए आपने कौन-सा उपचार चुना है। अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है, तो डॉक्टर आपको दिन में 10 बार डायबिटीज की जांच करने की सलाह देते हैं। जबकि, इंसुलिन लेने वाले टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को दिन में कई बार रक्त शर्करा स्तर की जांच का सुझाव दिया जाता है। अगर आप इंसुलिन नहीं लेते और नियमित व्यायाम और उचित आहार का पालन करते हैं, तो आपको किसी डायबिटीज परीक्षण की ज़रूरत नहीं है।
डायबिटीज की जांच की ज़रूरत – Diabetes Tests Ki Zarurat
डायबिटीज के लक्षण या संकेत वाले हर व्यक्ति के लिए डॉक्टर डायबिटीज परीक्षण की सलाह देते हैं। हालांकि, जिन लोगों में डायबिटीज के लक्षण नहीं हैं, उन्हें 45 साल की उम्र के बाद इसकी नियमित जांच शुरू कर देनी चाहिए। इसके अलावा निम्नलिखित जोखिम कारकों वाले लोगों को भी डॉक्टरों द्वारा डायबिटीज का परीक्षण करने की सलाह दी जाती है:
- गतिहीन जीवन शैली
- कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
- प्री-डायबिटीज (बिगड़ा हुआ उपवास ग्लूकोज)
- उच्च रक्त शर्करा स्तर
- डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास
- दिल की बीमारी का पारिवारिक इतिहास
- गर्भकालीन (जेस्टेशनल) डायबिटीज वाली महिलाएं
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
- ट्राइग्लिसराइड का उच्च स्तर
बच्चों और किशोरों के लिए यह परीक्षण 10 साल की उम्र या युवावस्था की शुरुआत में किया जाना चाहिए। बिना डायबिटीज वाले लोगों को डॉक्टर हर 3 साल में डायबिटीज परीक्षण दोहराने की सलाह देते हैं। नीचे दिए गए जोखिम कारक बच्चे में डायबिटीज की समस्या पैदा करते हैं। इसका पता लगाने के लिए डायबिटीज की जांच करवाना बेहद ज़रूरी है:
- डायबिटीज से पीड़ित मां
- प्री-डायबिटीज के संकेत
- टाइप 2 डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास
- ज़्यादा वजन (मोटापा)
डायबिटीज की जांच कराने से आपको रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। यह परीक्षण किसी भी व्यक्ति के लिए करवाना ज़रूरी है, क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ इस परीक्षण से आपको यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं या नहीं। आमतौर पर ऐसा गंभीर स्थिति बचाव के तहत डायबिटीज को रोकने या नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
रक्त शर्करा का स्तर – Blood Sugar Level
अगर आपके रक्त शर्करा की दो रीडिंग लगातार 300 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमजी/डीएल) या उससे ज़्यादा है, तो डॉक्टर आपको डायबिटीज परीक्षणों की सलाह देते हैं। रक्त शर्करा के स्तर का इससे ज्यादा बढ़ना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। अगर आप उच्च रक्त शर्करा स्तर के लक्षणों को महसूस करते हैं, तो आपको डॉक्टर से सपंर्क करा चाहिए।
उच्च रक्त शर्करा स्तर या हाइपरग्लाइसीमिया के लक्षणों में शामिल हैं:
- लगातार उच्च रक्त शर्करा स्तर की रीडिंग
- ज़्यादा प्यास लगना
- पेशाब में शर्करा का उच्च स्तर
- बार-बार पेशाब आना
सामान्य तौर पर डॉक्टर सलाह देते हैं कि आपकी रक्त शर्करा का स्तर 180 एमजी/डीएल या डॉक्टर द्वारा निर्धारित लक्ष्य से ऊपर नहीं बढ़ना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है, जिससे आपको कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
रक्त शर्करा स्तर तालिका – Blood Sugar Level Chart
जांच करने का समय | बिना डायबिटीज वाले लोगों के लिए रक्त शर्करा स्तर को टारगेट करें | डायबिटीज वाले लोगों के लिए रक्त शर्करा स्तर को टारगेट करें |
खाने से पहले | 100 एमजी/डीएल से कम | 80 से 130 एमजी/डीएल |
खाने के 1 से 2 घंटे बाद | 140 एमजी/डीएल से कम | |
3 महीने की अवधि में इसे ए1सी परीक्षण से नापा जा सकता है। | 5.7 प्रतिशत से कम | 7 प्रतिशत से कम 180 एमजी/डीएल |
डायबिटीज की जांच के तरीके – Diabetes Test Ke Tareeke
रक्त में शर्करा स्तर की मात्रा को जानने के लिए डायबिटीज परीक्षण करना ज़रूरी है। डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको रक्त शर्करा की जांच करने के लिए कहते हैं। आपके द्वारा किये जाने वाले भोजन में शामिल अनाज, सब्ज़ियों या फल में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसे आपका शरीर ग्लूकोज में बदल देता है। हमारे शरीर द्वारा ग्लूकोज का इस्तेमाल ऊर्जा स्रोत के तौर पर किया जाता है। यही कारण है कि डॉक्टरों द्वारा टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज सहित डायबिटीज के सभी प्रकारों के लिए निम्नलिखित परीक्षणों का सुझाव दिया जाता है:
ए1सी परीक्षण
ए1सी परीक्षण रक्त शर्करा की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम परीक्षण है। यह आपको समय के साथ रक्त में शर्करा के स्तर के बारे में बताता है। आमतौर पर ए1सी परीक्षण को ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है।
यह बताता है कि पिछले दो से तीन महीनों में आपके शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं से कितना ग्लूकोज बढ़ा है। ए1सी परीक्षण तीन महीने के लिए आपके औसत रक्त शर्करा की जांच करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल तीन महीने का होता है। इसके लिए परीक्षण में सिर्फ खून की एक मामूली मात्रा को इकट्ठा किया जाता है।
ए1सी परीक्षण अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग नतीजे देता है। इसमें गर्भवती या अलग-अलग हीमोग्लोबिन वाली महिलाएं भी शामिल हैं, जिसकी वजह से परीक्षण गलत नतीजे दे सकता है। कुछ मामलों में डॉक्टर आपको एक अलग तरह के डायबिटीज परीक्षण की सलाह भी दे सकते हैं।
अचानक रक्त शर्करा की जांच
रैंडम ग्लूकोज टेस्ट यानी अचानक की गई रक्त शर्करा की जांच ग्लूकोज के स्तर को निर्धारित करने का एक सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। डॉक्टरों द्वारा दिन में किसी भी समय एक रैंडम ग्लूकोज टेस्ट किया जा सकता है। इससे शरीर को हमेशा बेहतर रक्त शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसे पूरा करने के लिए यह हार्मोन इंसुलिन बनाता है, जो ग्लूकोज को उन कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है, जिन्हें ऊर्जा के लिए इसकी ज़रूरत होती है।
टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों का शरीर इंसुलिन बनाने में असमर्थ होता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खराब या खत्म कर देता है। टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है। इसके अलावा कई बार इस स्थिति में उनका शरीर इसका ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। किसी व्यक्ति द्वारा इंसुलिन का सही तरीके से उत्पादन नहीं करने की स्थिति में ग्लूकोज रक्त में बना रहता है। इस तरह रक्त शर्करा का स्तर लगातार बढ़ता रहता है और आपको उच्च रक्त शर्करा की समस्या होती है। जबकि, रक्त शर्करा स्तर में लगातार कमी को निम्न रक्त शर्करा यानी हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है।
अगर नतीजे किसी व्यक्ति के ग्लूकोज स्तर को सामान्य से ज़्यादा दिखाते हैं, तो डॉक्टर आमतौर पर निदान के लिए दोबारा परीक्षण की सलाह देते हैं। एक रैंडम ग्लूकोज टेस्ट में किसी भी समय खून लिया जा सकता है, फिर भले ही आपने आखिरी बार कब खाया है, यह ज़रूरी नहीं है। रक्त में शर्करा का स्तर 200 एमजी/डीएल या उससे ज़्यादा होने को डायबिटीज के तौर पर परिभाषित किया जाता है।
उपवास रक्त शर्करा परीक्षण
खाली पेट रक्त शर्करा की जांच के लिए रात भर उपवास करने के बाद खून का सैंपल लिया जाता है, जिसमें आमतौर पर डॉक्टर 8 से 12 घंटे तक खाना नहीं खाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा उपवास रक्त शर्करा परीक्षण में शामिल हैं:
- 100 मिलीग्राम/डीएल से कम सामान्य है।
- प्री-डायबिटीज का रक्त शर्करा स्तर 100 से 125 एमजी/डीएल होता है।
- दो परीक्षणों के बाद 126 एमजी/डीएल या इससे ज़्यादा स्तर डायबिटीज के बारे में बताता है।
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट यानी ओजीटीटी दो घंटे की प्रक्रिया है। इसमें सबसे पहले आपके रक्त शर्करा स्तर की जांच की जाती है, जिसके बाद डॉक्टर आपको एक मीठा पेय देते हैं। दो घंटे के बाद डॉक्टर फिर से आपके रक्त शर्करा स्तर की जांच करते हैं। इसमें आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- रक्त शर्करा का 140 मिलीग्राम/डीएल से कम स्तर सामान्य है।
- प्री-डायबिटीज का रक्त शर्करा स्तर 140 से 199 एमजी/डीएल होता है।
- रक्त शर्करा का स्तर 200 मिलीग्राम/डीएल या उससे ज़्यादा होने पर डायबिटीज का निदान किया जाता है।
गर्भकालीन डायबिटीज की जांच – Gestational Diabetes Test
गर्भकालीन डायबिटीज के जोखिम कारक
निम्नलिखित जोखिम कारक यह जानने में आपकी मदद कर सकते हैं कि कि आपको गर्भकालीन डायबिटीज परीक्षण कब करवाना चाहिए।
- मोटापा या ज़्यादा वजन।
- व्यायाम करते समय ऊर्जा की कमी महसूस होना।
- गर्भावस्था या प्री-डायबिटीज के दौरान डायबिटीज।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
- डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास।
- अतीत में (4.1 किलोग्राम) 9 पाउंड से अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म देना।
अनियंत्रित गर्भकालीन डायबिटीज की वजह से रक्त शर्करा का स्तर गंभीर रूप से बढ़ सकता है। इसके कारण किसी व्यक्ति को हाइपरग्लाइसीमिया की समस्या हो सकती है। रक्त में शर्करा का उच्च स्तर आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है, जिसमें सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना भी शामिल है।
गर्भकालीन डायबिटी के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट
आपके डॉक्टर इनमें से कुछ स्क्रीनिंग परीक्षणों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे:
इनीशियल ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट- इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर ग्लूकोज सिरप का घोल देते हैं। एक घंटे के बाद वह रक्त की निगरानी करते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर की जांच के लिए इकट्ठा किया जाता है। रक्त शर्करा का स्तर 130 से 140 मिलीग्राम/डीएल होना सामान्य है। सामान्य से ज़्यादा रीडिंग बताती है कि डायबिटीज की जांच के लिए ज़्यादा परीक्षण की ज़रूरत है। अगर आपको गर्भकालीन डायबिटीज है, तो डॉक्टर फॉलो-अप टेस्ट की सलाह देंगे।
फॉलो-अप ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट- फॉलो-अप टेस्ट के लिए आपको रात भर उपवास करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद आपके रक्त शर्करा स्तर की जांच की जाती है। इस तरह डॉक्टर बेसलाइन ब्लड ग्लूकोज लेवल निर्धारित करते हैं। गर्भवती महिला को पीने के लिए ज़्यादा चीनी वाला घोल देने के बाद डॉक्टर हर तीन घंटे में रक्त शर्करा को मॉनिटर करते हैं। अगर किसी महिला की रीडिंग सामान्य से ज़्यादा है, तो यह नतीजे महिला के गर्भकालीन डायबिटीज से पीड़ित होने के बारे में बताते हैं।
दो घंटे का ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट ऊपर बताए गए परीक्षण की तरह है। अगर आपकी रक्त शर्करा की दो रीडिंग परीक्षण के सामान्य मूल्यों से ज़्यादा है, तो आपके लिए गर्भकालीन डायबिटीज का निदान किया जाएगा।
घर पर डायबिटीज की जांच – Ghar Par Diabetes Test
ग्लूकोमीटर एक ऐसा डिवाइस है। आमतौर पर इसे घर पर रक्त शर्करा स्तर का परीक्षण करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक छोटी नुकीली सुई होती है, जिसे लैंसेट कहते हैं। इसका इस्तेमाल आपकी अंगुली में चुभने के लिए किया जाता है। इसके बाद खून की एक बूंद को एक परीक्षण पट्टी पर रखा जाता है, जिसे बाद में एक मीटर में रखा जाता है। यह मीटर आपके रक्त शर्करा का स्तर दिखाता है।
परीक्षण के नतीजों पर ध्यान देना ज़रूरी है, क्योंकि इसकी मदद से आप अपने डॉक्टर को रीडिंग के बारे में सही जानकारी दे सकते हैं। डायबिटीज परीक्षणों से मिलने वाले नतीजों के आधार पर आपको आहार, व्यायाम या दवा में बदलाव या मैनेज करने की ज़रूरत हो सकती है। कुछ मीटर समय के साथ औसत रक्त शर्करा का स्तर निर्धारित करने में भी मदद करते हैं, जिसके लिए कुछ मॉडल सॉफ्टवेयर किट के साथ आते हैं। यह मीटर से डेटा लेते हैं और पिछले परीक्षण से मिलने वाले नतीजे के ग्राफ और चार्ट दिखाते हैं। अपने स्थानीय दवा की दुकान पर आप रक्त शर्करा मीटर और पट्टी आसानी से खरीद सकते हैं।
घर पर डायबिटीज का परीक्षण करते समय आप नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं:
- अपने हाथों को ठीक से धोएं।
- रक्त शर्करा मीटर में एक परीक्षण पट्टी रखें।
- परीक्षण किट के साथ आने वाले लैंसेट का इस्तेमाल करें। इसे आपको अपनी उंगलियों के किनारे पर चुभोने कि लिए दिया जाता है।
- खून की बूंद दिखाई देने तक अपनी उंगली को धीरे से निचोड़ें या मालिश करें।
- परीक्षण पट्टी के किनारे पर रक्त की बूंद डालें और उसे वहीं पकड़ें।
- कुछ सेकंड बाद आप अपने रक्त शर्करा का स्तर मीटर की स्क्रीन पर देख सकते हैं।
मंत्रा केयर – Mantra Care
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