Contents
- 1 डायबिटिक कोमा क्या है? Diabetic Coma Kya Hai?
- 2 डायबिटिक कोमा के लक्षण – Diabetic Coma Ke Lakshan
- 3 डायबिटिक कोमा के जोखिम – Diabetic Coma Coma Ke Jokhim
- 4 डायबिटिक कोमा का उपचार – Diabetic Coma Ka Upchar
- 5 डायबिटिक कोमा से बचाव – Diabetic Coma Se Bachav
- 6 डायबिटिक कोमा के लिए प्राथमिक उपचार – Diabetic Coma Ke Liye First Aid
- 7 डायबिटिक कोमा से रिकवरी – Diabetic Coma Se Recovery
- 8 मंत्रा केयर – Mantra Care
डायबिटिक कोमा क्या है? Diabetic Coma Kya Hai?
डायबिटीज के कारण होने वाली बेहोशी को डायबिटिक कोमा कहते हैं। इसमें टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग बेहोश और विचलित हो जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, यह घातक स्थिति आमतौर पर बेहद कम रक्त शर्करा स्तर (हाइपोग्लाइसीमिया) या उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाइपरग्लाइसीमिया) वाले लोगों में देखी जाती है। यह ज़्यादा शर्करा स्तर प्रणाली के पतन का कारण बन सकते हैं, जिससे आप बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं। हाइपरग्लाइसीमिया के कारण आपको हल्का-फुल्का महसूस हो सकता है, जिससे आपके बेहोश होने की ज़्यादा संभावना रहती है। जबकि, हाइपोग्लाइसीमिया किसी व्यक्ति में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) और भटकाव की समस्या पैदा कर सकता है।
अनियंत्रित छोड़ दिये जाने पर हाइपरग्लाइसेमिक या हाइपोग्लाइसेमिक मरीज बहुत जल्द डायबिटिक कोमा में जा सकता है, क्योंकि उनकी स्थिति ज़्यादा बिगड़ती जाती है। ऐसी स्थिति में आपका शरीर कीटोएसिडोसिस से पीड़ित होता है, जो डायबिटिक कोमा में बदल सकता है। कीटोएसिडोसिस 24 साल से कम उम्र के डायबिटीज वाले मरीजों की मौत का प्रमुख कारण है। यह जटिलता आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस की वजह से होती है। डायबिटिक मरीज के रक्त प्रवाह में खतरनाक रूप से कीटोन और रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है। उनके शरीर में बीमारी बढ़ती है, जिससे खून का पीएच अम्लीय और घातक हो सकता है। इस स्थिति में आपको जल्द से जल्द एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से मिलने की सलाह दी जाती है।
डायबिटिक कोमा के लक्षण – Diabetic Coma Ke Lakshan
आप कई शारीरिक लक्षणों की मदद से डायबिटिक कोमा की पहचान कर सकते हैं। जबकि, इस बीमारी वाले लोगों में हाइपरोस्मोलर सिंड्रोम और कीटोएसिडोसिस के दो सबसे आम लक्षण हैं, जैसे:
हाइपरोस्मोलर सिंड्रोम
- रक्त शर्करा के स्तर में 600 से 650 एमजी/डीएल तक बढ़ोतरी होना
- पेशाब में कीटोन्स की कमी
- खून में गाढ़ापन
कीटोएसिडोसिस
- रक्त शर्करा का स्तर 250 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक कम हो सकता है।
- ग्लूकोज के बजाय फैटी एसिड ईंधन का प्राथमिक स्रोत बन जाते हैं।
- रक्त के साथ-साथ पेशाब में भी कीटोन्स ज़्यादा होते हैं।
गैर-कीटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा
गैर-कीटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा आमतौर पर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस की तुलना में ज़्यादा खतरनाक होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसका प्रमुख लक्षण टॉरपिडिटी है, जो पुनरुत्थान और एक अचूक बीमारी के बजाय बढ़ता है। ग्लूकोज का यह उच्च स्तर अपर्याप्त तरल सेवन से होने वाली पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन के साथ होता है। टाइफ्लो के मरीजों को अक्सर बेहोशी का बहुत ज़्यादा अहसास होता है।
उच्च रक्त शर्करा स्तर के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- भटकाव
- मतली
- भूख
- दिल की तेज धड़कन
निम्न रक्त शर्करा स्तर के कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- थकावट महसूस होना
- भ्रम की स्थिति
- पसीना आना
- घबराहट या चिंता का अहसास
डायबिटिक कोमा के जोखिम – Diabetic Coma Coma Ke Jokhim
डायबिटीज का मरीज होने की वजह से आपको डायबिटिक कोमा होने का जोखिम रहता है। हालांकि, कुछ कारक इस जोखिम को ज़्यादा बढ़ा सकते हैं। इसमें शामिल है:
खराब इंसुलिन की डिलीवरी
इंसुलिन पंप इस्तेमाल करने वाले मरीजों में कभी-कभी ट्यूब मुड़ सकती है या कैथेटर गिर जाता है, जो इंसुलिन की डिलीवरी में रुकावट पैदा कर सकता है। इन सभी घटनाओं के कारण आपको कीटोएसिडोसिस हो सकता है।
ब्लंट ट्रॉमा की सर्जिकल चोट
शारीरिक सूजन, सर्जरी या ब्लंट ट्रॉमा जैसी स्थितियों में आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर अपने आप बढ़ जाता है। अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है और आप अपनी इंसुलिन की खुराक समय पर नहीं लेते हैं, तो इससे कीटोएसिडोसिस हो सकता है। कभी-कभी चिकित्सा आपात स्थिति जैसे दिल की धड़कन रुकना और किडनी में खराबी हाइपरोस्मोलर सिंड्रोम का कारण बन सकती है।
डायबिटीज का खराब प्रबंधन
आपके द्वारा किया जाने वाला शर्करा सेवन का गलत प्रबंधन या अनियमित रक्त शर्करा प्रबंधन आपको घातक जटिलताओं के जोखिम में डाल सकता है। अगर आप डायबिटिक स्पेक्ट्रम में आते हैं, तो भोजन और ग्लूकोज सेवन को प्रबंधित करना आपके लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है।
शराब और नशीली दवाओं का गलत इस्तेमाल
शराब में कार्बोहाइड्रेट की भारी मात्रा होती है, जो आपके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं। यह डायबिटिक कोमा का आपका जोखिम बढ़ा सकता है।
भोजन छोड़ना और उपवास करना
लंबे समय तक भोजन छोड़ने से आपको कमजोरी, निम्न रक्त शर्करा, दौरे और कभी-कभी डायबिटिक कोमा की समस्या भी हो सकती है। यही कारण है कि आपके रक्त शर्करा का स्तर बनाए रखना, समय पर भोजन करना और इंसुलिन का स्तर संतुलित बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।
डायबिटिक कोमा का उपचार – Diabetic Coma Ka Upchar
डायबिटिक कोमा के कुछ प्रभावी उपचार निम्नलिखित हैं-
कीटो एसिडोटिक कोमा
अगर आपको कीटो एसिडोटिक कोमा है, तो इसका उपचार करने के लिए शरीर में अलग-अलग सप्लिमेंट के ज़रिए से पोटेशियम प्रशासन के साथ नसों के अंदर तरल पदार्थ डाले जाते हैं।
हाइपरोस्मोलर कोमा
हाइपरोस्मोलर कोमा के उपचार में मरीजों के शरीर में सोडियम और पोटेशियम की खुराक की दखलअंदाजी से नसों के अंदर तरल पदार्थ डालना शामिल है।
हाइपोग्लाइसेमिक कोमा
हाइपोग्लाइसेमिक कोमा का उपचार करने के लिए मरीज को ग्लूकागन इंजेक्शन लगाया जाता है। साथ ही इंसुलिन के प्रभाव को उलटने के लिए शरीर में नसों के अंदर ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखना शामिल है।
डायबिटिक कोमा से बचाव – Diabetic Coma Se Bachav
नीचे दिए गए उपायों की मदद से आप डायबिटिक कोमा से बचाव कर सकते हैं। इसमें शामिल हैंः
आहार का लगातार पालन करें
अपने डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ द्वारा सुझाए गई भोजन योजना का पालन करना आपके लिए बहुत ज़रूरी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके छोटे-छोटे स्लिप-अप से आपके रक्त में शर्करा का स्तर लगातार बढ़ सकता है।
रक्त शर्करा स्तर की जांच करें
अपने रक्त शर्करा का एक उचित रिकॉर्ड बनाए रखने से आपको उस पैटर्न का एहसास करने में मदद मिल सकती है, जिस पर आपकी रक्त शर्करा में उतार-चढ़ाव होता है और इसे ठीक करने के लिए आपको कौन से आहार संबंधी बदलाव करने की ज़रूरत होती है। साथ ही इससे डॉक्टर को भी आपका उपचार करने में मदद मिलती है। आहार के साथ नियमित रूप से व्यायाम करना और उसके अनुसार अपना इंसुलिन सेवन बनाए रखना भी आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
आपातकाल के लिए तैयार रहें
बीमारी या शारीर की सूजन आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर घटने-बढ़ने का कारण बन सकती है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने डॉक्टर के साथ इस तरह की संभावनाओं पर पहले से चर्चा करें, क्योंकि आपात स्थिति कभी-भी किसी चेतावनी के साथ नहीं आती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपको डॉक्टरों द्वारा हमेशा आपातकालीन टूल किट तैयार करने की सलाह दी जाती है।
कीटोन्स को नियंत्रित रखें
अगर आपके रक्त में शर्करा स्तर की रीडिंग लगातार 250 से 260 एमजी/डीएल है, तो आपको अपने कीटोन्स पर खासतौर से ध्यान देने की ज़रूरत है। जब आपके शरीर में ग्लूकोज का निम्न स्तर होता है और अपने प्राथमिक ईंधन के तौर पर फैटी एसिड का इस्तेमाल करता है, तो इससे कीटोन्स पैदा हो सकते हैं। अगर आपके कीटोन का स्तर ज़्यादा है और आप एक ही समय में मतली या उल्टी का अनुभव करते हैं, तो आपको इसके लिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपका शरीर कीटोएसिडोसिस में जा सकता है, जिससे डायबिटिक कोमा होने की संभावना हो सकती है।
नियमित रूप से दवाएं लें
आमतौर पर डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति के हर पहलू और बीमारी की गंभीरता को देखने के बाद ही आपके लिए दवा निर्धारित करते हैं। इसलिए, भूलने की बीमारी और दवाओं को छोड़ना आपके लिए कभी भी एक अच्छा विचार नहीं है।
ग्लूकोज स्रोतों को साथ रखें
अगर आप अक्सर निम्न रक्त शर्करा स्तर का अनुभव करते हैं, तो आपको हमेशा शर्करा या ग्लूकोज स्रोतों को अपने साथ रखना चाहिए। इससे आपात स्थिति के दौरान आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें फलों के रस, एनर्जी बार, ग्लूकोज टैबलेट और अन्य स्रोत शामिल हो सकते हैं।
नशीली दवाओं और शराब से दूर रहें
आमतौर पर शराब का बहुत ज़्यादा सेवन करने वाले लोग उच्च रक्त शर्करा स्तर की समस्या का सामना करते हैं। इसकी वजह शराब में पाई जाने वाली कार्बोहाइड्रेट की ज़्यादा मात्रा है, जो आपके रक्त शर्करा को गंभीर स्तर तक बढ़ा सकते हैं। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों को शराब के सेवन से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है।
डायबिटिक कोमा के लिए प्राथमिक उपचार – Diabetic Coma Ke Liye First Aid
डायबिटिक कोमा वाले मरीज की गंभीरता को सुनिश्चित करने के लिए आपको कुछ ज़रूरी बातों को ध्यान रखने की ज़रूरत है। यहां कुछ कदम दिए गए हैं, जो आप यह पता लगाने में आपकी मदद कर सकते हैं:
- तुरंत एम्बुलेंस (102) को कॉल करें।
- अगर मरीज पहले ही बेहोश हो चुका है, तो उसे खाने या पीने के लिए कुछ भी देने की कोशिश न करें। इससे उनका दम घुट सकता है।
- अगर मरीज अपनी पीठ के बल लेटा है, तो बेहतर सांस लेने के लिए उन्हें बगल की तरफ मोड़ें।
- उन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने की कोशिश न करें।
- कॉल पर डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें मरीज की स्थिति का पूरा ब्यौरा दें।
- डॉक्टर द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का सावधानी से पालन करें।
- सुनिश्चित करें कि वह लगातार सांस ले रहे हैं और उनमें ऑक्सीजन का उचित प्रवाह है।
डायबिटिक कोमा से रिकवरी – Diabetic Coma Se Recovery
एक बार गंभीर स्थिति से बाहर आने और रक्त शर्करा स्थिर होने के बाद आप बेहतर महसूस करने लगेंगे। अगर आप थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गए हैं, तो आपको थोड़ा चक्कर आ सकता है, लेकिन यह स्थिति जल्द ही ठीक हो जाती है। जब डायबिटिक कोमा जैसी घातक स्थितियों की बात आती है, तो जल्द उपचार लेना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ज़रूरी होता है। अगर आपका डायबिटिक कोमा कुछ घंटों से ज़्यादा समय तक रहता है, तो संभावना है कि आप बिना ठीक होने वाले दिमागी नुकसान से पीड़ित हो सकते हैं।
अगर कोमा में रहने के दौरान मरीज को तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिलती है, तो इससे उनकी मौत भी हो सकती है। डायबिटिक कोमा एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसका इलाज बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। डॉक्टर आपको अस्पताल का ब्रेसलेट पहनने की सलाह दे सकते हैं, जो भविष्य में आपात स्थिति के लिए आपके नज़दीकी लोगों को आपकी चिकित्सा स्थिति बताता है। अगर आप डायबिटीज के बारे में जाने बिना डायबिटिक कोमा सहते हैं, तो डॉक्टर आपको एक उपयुक्त चिकित्सा नुस्खे का सुझाव देंगे। इसमें आपके आहार संबंधी सलाह भी शामिल है।
मंत्रा केयर – Mantra Care
अगर आप इस विषय से जुड़ी या डायबिटीज़ उपचार, ऑनलाइन थेरेपी, हाइपटेंशन, पीसीओएस उपचार, वजन घटाने और फिजियोथेरेपी पर ज़्यादा जानकारी चाहते हैं, तो मंत्रा केयर की ऑफिशियल वेबसाइट mantracare.org पर जाएं या हमसे +91-9711118331 पर संपर्क करें। आप हमें [email protected] पर मेल भी कर सकते हैं। आप हमारा फ्री एंड्रॉइड ऐप या आईओएस ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं।
मंत्रा केयर में हमारी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और कोचों की एक कुशल और अनुभवी टीम है। यह टीम आपके सभी सवालों का जवाब देने और परेशानी से संबंधित ज़्यादा जानकारी देने के लिए हमेशा तैयार है। इससे आपको अपनी ज़रूरतों के हिसाब से सबसे अच्छे इलाज के बारे में जानने में मदद मिलती है।