डायबिटिक न्यूरोपैथी: प्रकार, कारण और उपचार – Diabetic Neuropathy: Prakar, Karan Aur Upchar

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डायबिटिक न्यूरोपैथी क्या है ? What is Diabetic Neuropathy?

हम सभी जानते हैं कि डायबिटीज की बीमारी कई जटिलताओं का कारण है। ऐसी ही एक अन्य समस्या डायबिटिक न्यूरोपैथी है। अनियंत्रित रक्त शर्करा के कारण होने वाले नसों में नुकसान को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। डायबिटिक न्यूरोपैथी लगातार उच्च रक्त शर्करा का स्तर पूरे शरीर में नसों को चोट पहुंचा सकता है। आमतौर पर पैरों और पंजों को इससे ज़्यादा नुकसान पहुंचता है। यह डायबिटीज से पीड़ित लगभग पचास प्रतिशत लोगों को प्रभावित करने वाली डायबिटीज की गंभीर जटिलता है। सामान्य रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखना एकमात्र ऐसा उपाय है, जिसके ज़रिए इसे रोकने या इसके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण – Diabetic Neuropathy Ke Karan

डायबिटिक न्यूरोपैथी का सबसे प्रमुख कारण डायबिटीज है, लेकिन कई अन्य कारण इस स्थिति को बढ़ाते हैं, जैसे:

  • डायबिटीज: समय के साथ आपके शरीर में उच्च रक्त शर्करा का स्तर आपके शरीर में मौजूद वसा के उच्च स्तर से मिलता है, जो नसों और छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
  • वसा का उच्च स्तर
  • ऑटोइम्यून डिजीज: स्जोग्रेन सिंड्रोम, ल्यूपस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (जीबीएस), क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिमाइलेटिंग पोलीन्यूरोपैथी और वैस्कुलाइटिस जैसी बीमारी।
  • बोन मैरो डिसऑर्डर: यह दुर्लभ प्रकार की बीमारियों में से एक है, जो रक्त में असामान्य प्रोटीन के कारण होती हैं और हड्डी के कैंसर का एक रूप है।
  • इंफेक्शन: लाइम रोग, दाद, एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी), हेपेटाइटिस बी और सी, कुष्ठ रोग, डिप्थीरिया और एचआईवी। अक्सर इस प्रकार के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन डायबिटिक न्यूरोपैथी का कारण बनते हैं।
  • ट्यूमर: कैंसर और बिना-कैंसर वाली ग्रोथ कभी-कभी नसों में विकसित होती है। अगर दूसरे शब्दों में कहें, तो यह नसों को दबाते हैं।
  • कीमोथेरेपी: कुछ दवाएं, खासतौर से कैंसर के मरीजों को दी जाने वाली दवाएं यानी कीमोथेरेपी भी पेरिफेरल न्यूरोपैथी का कारण बनती हैं।
  • विटामिन की कमी: विटामिन बी की कमी, जिसमें बी-1, बी-6, बी-12 और विटामिन ई शामिल हैं। यह आपकी नसों के ठीक रखने के लिए ज़रूरी हैं, जिनमें कमी के कारण कई प्रकार की समस्या होती है। इसके अलावा शराब पीने वाले लोग विटामिन की कमी से पीड़ित होते हैं, इसलिए शराब को भी पेरिफेरल न्यूरोपैथी के कारणों में से एक माना जा सकता है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी के प्रकार – Diabetic Neuropathy Ke Prakar

डायबिटीज वाले लोग चार प्रकार की डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पेरिफेरल न्यूरोपैथी
  • ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी
  • फोकल न्यूरोपैथी
  • प्रोक्सिमल न्यूरोपैथी

इन सभी प्रकार के डायबिटिक न्यूरोपैथी को बांटा जा सकता है कि वह कैसे और कहां होते हैं और इसके बारे में हम आपको आगे के लेख में बताएंगे।

पेरिफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी – Peripheral Diabetic Neuropathy

यह डायबिटिक न्यूरोपैथी का पहला प्रकार है, जो आमतौर पर पैरों या पंजों में होता है। हालांकि, कुछ मामलों में इसका प्रभाव हाथों या बाजुओं में भी हो सकता है और डायबिटिक न्यूरोपैथी के सबसे आम प्रकारों में से एक है। यह इतना सामान्य है, कि डायबिटीज से पीड़ित लगभग आधे लोग पेरिफेरल न्यूरोपैथी से प्रभावित होते हैं। कम शब्दों में कहें, तो पेरिफेरल न्यूरोपैथी, पेरिफेरल नसों में होने वाले नुकसान का नतीजा है, जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसें शामिल हैं।

पेरिफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

पेरिफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक होते हैं, जो प्रभाव की तेजी पर निर्भर करते हैं। यह लक्षण निम्नलिखित हैं:

peripheral diabetic neuropathy

  • सुन्न होना
  • झनझनाहट महसूस होना
  • जलन का अहसास
  • तापमान के प्रति असंवेदनशीलता
  • चलते समय तेज दर्द
  • ऐंठन
  • मांसपेशियों में कमज़ोरी
  • संतुलन या समन्वय का नुकसान, जिससे आप अक्सर गिर सकते हैं या आपके अपने चलने के तरीके में बदलाव महसूस हो सकता है।
  • आपके हाथों और पैरों की मांसपेशियों का कम होना।

अक्सर यह देखा गया है कि मरीजों को आमतौर पर रात के समय सबसे ज़्यादा दर्द और असुविधाओं का अनुभव होता है। कई बार यह लक्षण शरीर दोनों तरफ होने के बजाय सिर्फ एक तरफ महसूस होते हैं।

पेरिफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी का निदान

डॉक्टर मरीजों के लक्षणों, चिकित्सा और पारिवारिक इतिहास के आधार पर शारीरिक परीक्षण और जांच करते हैं। डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को साल में कम से कम एक बार पूरी तरह से जांच करवानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके पैर और पंजे ठीक हैं या नहीं। इस तरह की जांचों से डॉक्टर आपके पैरों और पंजों में रक्त प्रवाह और सनसनी की जांच करते हैं। इसके अलावा थायरॉइड की समस्या, किडनी की बीमारी या विटामिन बी12 के निम्न स्तर की जांच के लिए डॉक्टर खून की जांच करवाने की सलाह देते हैं।

पेरिफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी की रोकथाम

सबसे ज़रूरी और असरदार उपाय अपने रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य रखने की कोशिश करना है। इसके लिए आप उसी समय अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को मैनेज कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप अपने पैरों के स्वास्थ्य पर नजर रख रहे हैं यानी आपको हर दिन अपने पैरों की जांच करनी चाहिए। किसी भी तरह की समस्या को अनदेखा करने के बजाय तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो अपने पैरों की पूरी जांच करवाएं।

physical therapy

पेरिफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी का उपचार

आमतौर पर डॉक्टर नसों में दर्द के लिए कुछ दवाएं लिखते हैं और कुछ अन्य उपचारों की सलाह देते हैं, जैसेः

नसों में दर्द के लिए दवा:

आपके लिए यह जानना सबसे ज़रूरी है कि नसों के दर्द को दूर करने के लिए डॉक्टरों द्वारा निर्धारित दवाओं के दुष्प्रभाव होते हैं। इन में से कुछ दवाएं इस प्रकार हैं:

  1. एंटीपर्सपिरेंट, जैसे नॉर्ट्रिप्टाइलाइन, डेसिप्रामाइन, इमीप्रैमीन, एमिट्रिप्टीलिन, डुलोक्सेटीन, वेनलाफैक्सिन, पैरोक्सेटाइन और सिटालोप्राम।
  2. एंटीकॉन्वेलेंट्स, जैसे गबापेंटिन और प्रेगैबलिन। इन दवाओं को दौरे का इलाज के लिए बनाया जाता है।
  3. कुछ स्किन क्रीम या स्प्रे जैसे लिडोकेन।

अक्सर कुछ अन्य डॉक्टर मरीजों को बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली ओवर-द-काउंटर या दर्द निवारक दवाएं नहीं लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ऐसी दवाएं लंबे समय में आपको नुकसान पहुंचाती हैं। इन दवाओं से नसों के नुकसान का इलाज करने में कोई मदद नहीं मिलती हैं, बल्कि यह सिर्फ थोड़ी देर के लिए दर्द से राहत देते हैं, इसलिए यह कोई स्थाई इलाज नहीं है।

नसों में दर्द के लिए अन्य उपचार:

  1. फिज़िकल थेरेपी: इससे आपको अपनी ताकत और संतुलन को सुधारने में मदद मिलती है।
  2. बेड क्रेडल: यह उपकरण सुनिश्चित करता है कि आप सोते समय अपने पैरों और पंजों से चादर या कंबल रखें।

ऑटोनोमिक डायबिटिक न्यूरोपैथी – Autonomic Diabetic Neuropathy

यह डायबिटिक न्यूरोपैथी का अन्य प्रकार है, जो आंतरिक अंगों की नसों को प्रभावित करता है। ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी आपके दिल, पाचन तंत्र, मूत्राशय, यौन अंगों, पसीने की ग्रंथियों और आंखों में समस्या पैदा कर सकती है। इस स्थिति में आप निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) के स्तर को महसूस नहीं कर पाते हैं, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया अनअवेयरनेस कहा जाता है।

ऑटोनोमिक डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के लक्षण शरीर में प्रभावित जगह के आधार पर अलग होते हैं, जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।

दिल की धड़कन (हार्ट रेट) और रक्तचाप (ब्लड प्रेशर)

जब दिल की धड़कन और रक्तचाप के लिए जिम्मेदार नसें प्रभावित होती हैं, तो वह धीरे-धीरे प्रतिक्रिया करना शुरू कर देती हैं। इसकी वजह से लेटने या बैठने से अचानक खड़े होने पर और कोई शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करते समय आप बेहोश हो सकते हैं। इसके अलावा आपको दिल की धड़कन कम-ज़्यादा होने का अहसास हो सकता है यानी इससे दिल की धड़कन तेज या धीमी हो सकती है। इस जगह के आसपास नसों में नुकसान बहुत ज़्यादा होता है, जो दिल का दौरा पड़ने पर आपको सीने में दर्द महसूस करने से रोकता है। साथ ही जब आपका दिल पूरी तरह से ऑक्सीजन नहीं ले पाता, तो भी आप सीने में दर्द महसूस करने में असमर्थ होते हैं।

पाचन तंत्र

डायबिटिक न्यूरोपैथी पाचन तंत्र की नसों को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जिसके बाद आपको निम्न अहसास हो सकता है:

  • जी मिचलाना
  • भरा हुआ महसूस होना
  • चक्कर आना
  • कब्ज
  • दस्त
  • उल्टी

मूत्राशय (ब्लैडर)

मूत्राशय में नसों के नुकसान से महसूस होने वाले लक्षण हैं:

  • पेशाब करने की कोई भावना नहीं
  • पेशाब की बूंदों का रिसाव, जिसे यूरीनरी इनकॉन्टिनेंस कहते हैं

यौन अंग

जब डायबिटीज से होने वाली न्यूरोपैथी के कारण यौन अंगों में मौजूद नसें प्रभावित होती हैं, तो पुरुष इन समस्याओं से पीड़ित होते हैं:

  • नपुंसकता
  • स्खलन की समस्या

जब महिलाएं डायबिटीज से बुरी तरह प्रभावित होती हैं, तो उनके यौन अंगों की नसों में नुकसान होता है, जिसके कारण उन्हें संभोग करते समय यौनि में सूखापन होने लगता है। कुछ महिलाओं को यौनि के आसपास कम सनसनी महसूस हो सकती है या उन्हें संभोग करने में कठिनाई हो सकती है।

आंखें

डायबिटीज आपकी दृष्टि को प्रभावित करता है, जिसके लिए आप निम्न कार्य कर सकते हैं:

  • रोशनी और अंधेरे में समस्याओं का पता लगाएं।
  • अंधेरे कमरे में जाने पर एडजस्ट होने के लिए समय निकालें।
  • गाड़ी चलाते समय, खासतौर से रात के दौरान समस्याओं का पता लगाएं।

ऑटोनोमिक डायबिटिक न्यूरोपैथी का निदान

डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर अलग-अलग जांच करेंगे, जैसेः

  • कब्ज और दस्त के कारणों को दूर करने के लिए जांच
  •  गैस्ट्रिक खाली करने वाली स्किंटिग्राफी की जांच
  • गैस्ट्रिक खाली करने वाली सांस की जांच
  • मूत्राशय और मूत्र पथ के लिए अल्ट्रासाउंड

ऑटोनोमिक डायबिटिक न्यूरोपैथी का उपचार

डायबिटिक न्यूरोपैथी के इस प्रकार का उपचार लक्षणों और प्रभावित क्षेत्रों पर निर्भर करता है, जैसे- अगर आपके पाचन तंत्र की नसें बुरी तरह प्रभावित होती हैं, तो डॉक्टर आपको पाचन से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए आहार बदलने की सलाह देंगे। इसके अलावा ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर कुछ दवाएं भी लिख सकते हैं।

वह आपको उचित बाथरूम दिनचर्या का पालन करने की सलाह देंगे, क्योंकि मूत्राशय में नसों को होने वाला नुकसान आपको यह जानने से रोकता है कि मूत्राशय कब भरा हुआ है और आपको पेशाब करने की ज़रूरत है। मूत्राशय में संक्रमण के मामले में आपके लिए डॉक्टर कुछ दवाएं लिखेंगे। नपुंसकता के लिए डॉक्टर आपको कुछ उपकरणों या दवाओं की सलाह देते हैं। साथ ही डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण यौनि के सूखेपन को ठीक करने के लिए स्त्रीरोग विशेषज्ञ (गाइनिकॉलजिस्ट) लुब्रिकेंट का सुझाव देते हैं।

फोकल डायबिटिक न्यूरोपैथी – Focal Diabetic Neuropathy

आमतौर पर पेरिफेरल और ऑटोनोमिक की तुलना में इस स्थिति में एक ही तंत्रिका को नुकसान होता है। अक्सर यह नुकसान ज्यादातर हाथों, सिर, धड़ या पैरों में दिखाई देता है।

फोकल न्यूरोपैथी को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  1. एंट्रैपमेंट न्यूरोपैथी: यह न्यूरोपैथी उन क्षेत्रों में होता है, जहां नसें हड्डियों और ऊतकों के बीच में सिकुड़ी हुई जगह से गुजरती हैं। इस स्थिति में नसें फंसी या सिकुड़ी हुई होती हैं। डायबिटीज वाले लोगों में इस तरह की एंट्रैपमेंट की संभावना ज़्यादा होती है। सबसे आम एंट्रैपमेंट में से एक को कार्पेल टनल सिंड्रोम कहते हैं, जबकि अन्य उलनार एंट्रैपमेंट और पेरोनियल ट्रीटमेंट हैं।
  2. क्रेनियल न्यूरोपैथी: यह आंखों या आपके चेहरे के किसी अन्य हिस्से में नसों के नुकसान का कारण होते हैं।

फोकल डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

अगर आप एंट्रैपमेंट के कारण फोकल न्यूरोपैथी की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको अपने हाथ, पैर और धड़ में दर्द और कुछ अन्य लक्षण महसूस हो सकते हैं।

क्रेनियल न्यूरोपैथी सिर में नसों को प्रभावित करती है, जिससे यह लक्षण हो सकते हैं:

  • दोहरी दृष्टि
  • बेल्स पाल्सी यानी चेहरे के एक हिस्से में लकवा
  • एक आंख के पीछे दर्द
  • विजन फोकस में समस्याएं

फोकल डायबिटिक न्यूरोपैथी का निदान

डॉक्टर फोकल न्यूरोपैथी के निदान के लिए नर्व कंडीशन स्टडी और इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) जैसे टेस्ट करते हैं। पहला टेस्ट यह जांच करने के लिए किया जाता है कि क्या शरीर के किसी दूसरे हिस्से की नसें उनके ज़रिए चलने वाले विद्युत संकेतों का जवाब देने में सक्षम हैं। जबकि, ईएमजी टेस्ट से देखा जाता है की मांसपेशियां आपकी नसों को प्रतिक्रिया दे रही हैं या नहीं।

फोकल डायबिटिक न्यूरोपैथी का उपचार

आमतौर पर इसके लिए डॉक्टर वही उपचार या दवाएं लिखते हैं, जिनसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी वाले मरीजों का उपचार किया जाता है। फंसी हुई नसों वाले मरीजों को कुछ दवाओं के साथ ही एक स्प्लिंट या ब्रेस पहनने की सलाह दी जाती है, जो नसों से दबाव को दूर कर सकता है। अगर यह स्थिति खराब हो जाती है, तो डॉक्टर आपको सर्जरी का सुझाव भी दे सकते हैं। हालांकि फोकल न्यूरोपैथी बिना इलाज के कुछ हफ्तों या महीनों के अंदर ठीक हो जाती है।

प्रोक्सिमल डायबिटिक न्यूरोपैथी – Proximal Diabetic Neuropathy

यह एक दुर्लभ प्रकार का डायबिटिक न्यूरोपैथी है, जिसमें कूल्हों, नितंबों या जांघों जैसी जगहों में नसों को नुकसान पहुंचता है। आमतौर पर यह देखा गया है कि इसमें मरीजों के शरीर का सिर्फ एक हिस्सा प्रभावित होता है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में यह दूसरे हिस्से को प्रभावित कर सकता है। प्रोक्सिमल न्यूरोपैथी की समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज़्यादा देखी जाती है, जिससे 50 साल से ज़्यादा के लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। अध्ययनों की मानें, तो प्रोक्सिमल न्यूरोपैथी वाले ज़्यादातर लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होता है।

प्रोक्सिमल डायबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण

आमतौर पर कई लक्षण समय के साथ दूर हो जाते हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में यह कभी भी पूरी तरह से दूर नहीं होते हैं, जैसेः

  • कूल्हों, नितंबों या जांघों में गंभीर दर्द
  • पैरों में कमजोरी, जिससे लंबे समय तक बैठने के बाद खड़ा होने में परेशानी होती है।
  • मांसपेशी उत्तक का नुकसान
  • वजन घटनाproximal diabetic neuropathy

प्रोक्सिमल डायबिटिक न्यूरोपैथी का निदान

इसके लिये डॉक्टर उन्हीं उपकरणों और विधियों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें फोकल न्यूरोपैथी का निदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जैसे नर्व कंडीशन स्टडी और इलेक्ट्रोमोग्राफी। इनका इस्तेमाल आपकी नसों से मिलने वाले विद्युत संकेतों की गति की जांचने के लिए किया जाता है। जबकि ईएमजी जांच यह देखने के लिए की जाती है कि मांसपेशियां आपकी नसों को प्रतिक्रिया दे रही हैं या नहीं।

प्रोक्सिमल डायबिटिक न्यूरोपैथी का उपचार

इसके लिए डॉक्टर वही उपचार करते हैं, जो पेरिफेरल न्यूरोपैथी से मरीजों में होने दर्द वाले के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही वह फिजिकल थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं, जिससे आपको दैनिक गतिविधियां करने में मदद मिलेगी। अक्सर, इस डायबिटिक न्यूरोपैथी वाले लोग बिना किसी उपचार के ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें थोड़ा समय या कुछ घंटे भी लग सकते हैं।

मंत्रा केयर – Mantra Care 

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