डायबिटिक शॉक: लक्षण, कारण और उपचार – Diabetic Shock: Lakshan, Karan Aur Upchar

डायबिटिक शॉक क्या है? Diabetic Shock Kya Hai

डायबिटीज एक ऐसी घातक बीमारी है, जो आमतौर पर रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव वाले लोगों में ज़्यादा आम है। अगर आप भी डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो इस लेख के माध्यम से आप डायबिटिक शॉक के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

रक्त शर्करा का स्तर तेजी से गिरना एक आकस्मिक स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज की इस गंभीर स्थिति को डायबिटिक शॉक के नाम से जाना जाता है। डायबिटिक शॉक को दूसरे शब्दों में गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया भी कहते हैं, जिसमें कई बार मरीज को दूसरों से मदद की ज़रूरत हो सकती है। हालांकि, डायबिटिक शॉक एक चिकित्सा शब्द नहीं है, लेकिन इसे डायबिटिक शॉक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह स्थिति काफी गंभीर और घातक हो जाती है, जिसमें मरीज को डॉक्टर से मार्गदर्शन की ज़रूरत हो सकती है।

डायबिटिक शॉक के लक्षण – Diabetic Shock Ke Lakshan

Diabetic Shock Ke Lakshanडायबिटिक शॉक के लक्षणों की प्रारंभिक अवस्था में निगरानी करना बहुत ज़रूरी है, ताकि व्यक्ति को समय पर उचित उपचार प्रदान किया जा सके। इलाज में जरा-सी देरी या लापरवाही पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण बन सकती है। यह बहुत स्पष्ट है कि रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और दिन में कई बार नीचे गिरता है। हर दूसरी बीमारी की तरह डायबिटिक शॉक के कुछ लक्षण और संकेत हैं, जिनमें से कुछ की जानकारी निम्नलिखित है:

  1. सिरदर्द की तीव्रता तेज गति से हल्की होती है और आखिर तक बहुत गंभीर हो जाती है।
  2. इस स्थिति वाले मरीजों को घबराहट और चिंता का अहसास होता है। साथ ही उन्हें अपने विचारों पर नियंत्रण नहीं रहता है, जिसके कारण व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं।
  3. इससे पीड़ित मरीज के चेहरे, हाथ और पैरों पर ज़्यादा पसीना आ सकता है।
  4. डायबिटिक शॉक के दौरान प्रभावित व्यक्ति काफी चिड़चिड़ा और मूडी हो जाता है।
  5. मरीज की भूख बहुत बढ़ जाती है और बार-बार भूख लगने से मरीज की इच्छा बढ़ जाती है, जिसके कई गलत प्रभाव होते हैं।
  6. थकान, ज़्यादा पसीना और बुरे सपने के कारण व्यक्ति को नींद की कमी महसूस हो सकती है।

इनमें से कोई भी लक्षण और संकेत दिखाई देने पर आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए, जिससे पता लगाया जा सकता है कि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं या नहीं। अगर आपको या परिवार के किसी सदस्य को बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द अपने नज़दीकी डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि डॉक्टर समय पर बीमारी की रोकथाम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। अगर आपको सभी संभावित लक्षणों की जानकारी है, तो आप किसी अन्य प्रभावित व्यक्ति में इनकी पहचान कर सकते हैं। आपके लिए डायबिटिक शॉक के कारणों को जानना बहुत ज़रूरी है, ताकि आप खुद को इससे बचा सकें।

डायबिटिक शॉक के कारण – Diabetic Shock Ke Karan

लेख के इस भाग में आप डायबिटिक शॉक के कई अलग-अलग कारणों के बारे में जानेंगे। आपको इनकी पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है, ताकि आप खुद को डायबिटिक शॉक के खतरे से बचा सकें या इसकी संभावना को कम कर सकें। डायबिटिक शॉक के कई कारण हैं, जो इस प्रकार हैं:

इंसुलिन

इंसुलिन आमतौर पर उन लोगों दिया जाता है, जो लोग डायबिटीज के मरीज हैं। यह निम्न रक्त शर्करा यानी हाइपोग्लाइसीमिया के सबसे सामान्य कारणों में से एक है, जो उच्च मात्रा में इंसुलिन इंजेक्शन दिये जाने की वजह से होता है। इसके गंभीर रूप को डायबिटिक शॉक कहा जाता है। अगर आपको या आपके किसी रिश्तेदार को इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जा रहा है, तो सुनिश्चित करें कि दवा का इस्तेमाल सिर्फ औषधीय मात्रा में किया जाए।

शराब का सेवन

शराब का बहुत ज़्यादा मात्रा में सेवन करना डायबिटिक शॉक का अन्य प्रमुख कारण है। अगर आप शराब का सेवन करते हैं, तो आपको इसे धीरे-धीरे कम करना चाहिए। इससे आप न सिर्फ बेहतर महसूस करते हैं, बल्कि यह लीवर और किडनी पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को भी कम करता है।

देर से खाना या खाना छोड़ना

आमतौर पर यह आदत किशोरों या वयस्कों में देखी जाती है, जिसमें अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते युवा अक्सर देर से भोजन करते हैं। यही व्यस्त कार्यक्रम कई बार उनके खाना छोड़े जाने के लिए भी जिम्मेदार होता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि युवाओं को खाना देर से खाने या छोड़ने की आदत से बचना चाहिए। किसी व्यक्ति में यह आदतें रक्त शर्करा के स्तर को काफी हद तक प्रभावित करती हैं और इससे रक्त शर्करा का स्तर गिर सकता है , जिसे दूसरे शब्दों में हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। अगर आप भोजन छोड़ना जारी रखते हैं या देर से भोजन करते हैं, तो आप अप्रत्यक्ष रूप से डायबिटिक शॉक की संभावना को बढ़ा रहे हैं।

उम्र बढ़ना

हमारी उम्र शरीर में रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण मानी जाती है। बढ़ती उम्र के साथ हम अपने रक्त शर्करा के स्तर में ज़्यादा उतार-चढ़ाव महसूस करते हैं, इसलिए बढ़ती उम्र के साथ अपने खान-पान और दवाओं के सेवन पर भी पैनी नज़र रखना ज़रूरी है।

बार-बार दवाएं लेना भूलना

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आपको पता होना चाहिए कि अगर आप अक्सर दवाएं लेना भूल जाते हैं, तो कुछ बीमारियां आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ब्लड शुगर लेवल को बरकरार रखने के लिए डायबिटीज की दवा जिम्मेदार होती है। अगर आप डायबिटीज या इससे होने वाली किसी भी परेशानी से बचना चाहते हैं, तो अपनी दवा को समय पर और नियमित रूप से लें।

अन्य गुर्दे या अधिवृक्क (एड्रिनल) बीमारियों का विकास

डायबिटीज या शुगर लेवल का उतार-चढ़ाव कभी अकेले नहीं आता। इसके कारण कई अधिवृक्क (एड्रिनल) या गुर्दे की बीमारियां होने की संभावना रहती है, जो जीवन के किसी चरण में गंभीर हो सकती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को डायबिटीज है और शुगर लेवल कम या ज़्यादा होता रहता है, तो उनमें गुर्दे या अधिवृक्क ग्रंथियों से जुड़ी कुछ बीमारियां विकसित हो सकती हैं। इसलिए, यह ज़रूरी है कि आप अपनी किडनी और शरीर के बाकी हिस्सों की नियमित रूप से जांच करवाएं। इससे आपको संभावित बीमारी का पता लगाने में मदद मिलती है, जिसे शुरुआती चरण में उचित इलाज की मदद से ठीक किया जा सकता है।

इस प्रकार डायबिटिक शॉक के कई कारण हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपनी गतिविधियों, औषधीय सेवन और आहार पर नियंत्रण रखता है, तो वह पूरी तरह अपनी मर्जी से काम कर सकता है। इसलिए कहा जाता है कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है। इन ज़रूरी बिंदुओं के साथ आगे बढ़ते हुए अब हम आपको उस उपचार के बारे में बताएंगे, जिसका आपके द्वारा पालन किया जाना चाहिए। साथ ही आप जानेंगे कि डायबिटिक शॉक के मामलों में क्या किया जा सकता है।

डायबिटिक शॉक का उपचार – Diabetic Shock Ka Upchar

अगर आपको डायबिटिक शॉक का कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो आपको स्वास्थ्य के प्रति ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, फिर चाहे वह टाइप 1 डायबिटीज हो या टाइप 2 डायबिटीज। आगे बढ़ने और किसी भी अन्य उपचार के बारे में जानने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आपकी घबराहट सिर्फ उच्च रक्तचाप के कारण रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव के लिए जिम्मेदार होगी। इसलिए, डॉक्टर हमेशा आपको घबराने के बजाय उचित कदम उठाने की सलाह देते हैं।

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, पहला कदम रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव दिखाते हुए निगरानी किए गए डेटा को इकट्ठा करना होना चाहिए। अगर आपके शरीर में शर्करा का स्तर नीचे मिलता है, तो आपको रोज़ाना कम से कम 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट वाला मीठा नाश्ता ज़रूर करना चाहिए। मीठा खाने के 15 मिनट बाद आपको अपने शुगर लेवल की दोबारा जांच करनी चाहिए। एक बार यह सामान्य हो जाए, तो आप अपने नियमित भोजन और नाश्ते के कार्यक्रम का पालन करना जारी रख सकते हैं।

हालांकि, अगर डायबिटिक शॉक होने का खतरा है, तो आपको ग्लूकागन इंजेक्शन लेने के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ मामलों में व्यक्ति हाइपोग्लाइसीमिया के कारण बेहोश हो जाते हैं और व्यक्ति को होश में लाने के लिए सबसे पहले आपको ग्लूकागन का इंजेक्शन लगाना चाहिए। अगर व्यक्ति वापस होश में नहीं आता है, तो इस स्थिति में उसे तत्काल सहायता की ज़रूरत हो सकती है, जिसके लिए हेल्पलाइन नंबर 911 है।

रोकथाम – Roktham

आप निश्चित रूप से डायबिटिक शॉक के सबसे गंभीर अहसास की संभावना को रोक सकते हैं। इसके लिए आपके द्वारा कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का पालन करना ज़रूरी है, जो निम्नलिखित हैं:

  1. डायबिटिक शॉक को रोकने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करें। इसके अलावा आप अपने ब्लड शुगर लेवल के हिसाब से संतुलित डाइट चार्ट तैयार कर सकते हैं, जिसे आपके डॉक्टर की देखरेख में करना ज़रूरी है।
  2. आपको यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि आप भोजन न छोड़े या देर से भोजन न करें। भोजन को लेकर समय के पाबंद रहें, फिर इससे निपटना कितना भी कठिन क्यों न हो।
  3. अगर आप शराब का सेवन करते हैं, तो आप इसे हमेशा भोजन के साथ ही लें, क्योंकि अकेले ली जाने वाली शराब आपके रक्त शर्करा के स्तर को नकारात्मक तरीके से बढ़ा सकती है।
  4. अगर आपको लगता है कि गतिविधि के स्तर में वृद्धि हुई है, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने आहार और दवा को समय के अनुसार लें।
  5. कुछ मोबाइल एप्लिकेशन हैं, जो आपकी दवाओं और भोजन के लिए अलार्म शेड्यूल के तौर पर काम करते हैं। आप उन्हें अपने व्यक्तिगत उपकरण पर स्थापित कर के लाभ उठा सकते हैं।
  6. बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया के शॉक से बचने के लिए यह हमेशा एक अच्छा कदम है, ताकि आपको चेतावनी के लक्षणों के स्पष्ट संकेत मिलें।
  7. जब दवाओं की बात हो, तो अपने आप डॉक्टर न बनें। खुद को प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिए आपको निर्धारित समय पर सटीक मात्रा में दवाएं लेनी चाहिए।

डायबिटिक शॉक के बारे में – Diabetic Shock Ke Bare Mein 

डायबिटिक शॉक की जांच के लिए यह सभी निवारक उपाय हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है। नीचे दिए गए बिंदुओं की मदद से आप डायबिटिक शॉक को ज़्यादा संक्षिप्त रूप से समझ सकते हैं।

  1. आपको चेतावनी के संकेतों को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। जैसे ही आप इन्हें अनुभव करना शुरू करते हैं या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इन्हें अनुभव करते हुए देखते हैं, तो बहुत सतर्क रहें।
  2. डायबिटीज से जुड़ा कोई भी उपचार लेते समय मरीज को दी जाने वाली ग्लूकोज की निगरानी करनी चाहिए। ऐसा इसलिए है. क्योंकि इस चरण में एक छोटी-सी लापरवाही मरीज की रक्त शर्करा का स्तर फिर से बढ़ा सकती है।
  3. निम्न रक्त शर्करा के स्तर से मस्तिष्क में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे चेतना की हानि, दौरे और मृत्यु।
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डायबिटिक शॉक से संबंधित इन तथ्यों के बाद हम बात करेंगे निष्कर्ष की। इस लेख में दी गई सभी जानकारी पर अच्छी तरह से शोध किया गया है, जिससे आप यह जान सकते हैं कि आप या आपके परिवार का कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है या नहीं।

सारांश – Saransh

कई बार रक्त शर्करा का स्तर बहुत नीचे जाने की संभावना होती है, जिसके कारण व्यक्ति को कुछ ही समय में डायबिटिक शॉक लग सकता है। डायबिटिक शॉक किसी व्यक्ति के लिए बहुत खतरनाक सकता है। अगर आप इसका समय पर इलाज नहीं कराते हैं, तो इससे डायबिटिक कोमा भी हो सकता है। डायबिटिक कोमा में आपका सबसे बड़ा दुश्मन इंसुलिन होता है, जिससे बचाव के लिए ज़रूरी है कि आप इंसुलिन की मात्रा धीरे-धीरे कम करें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा लेने से बचें। गंभीर डायबिटिक शॉक से खुद को बचाने के लिए आप समग्र रूप से कुछ भी नहीं कर सकते हैं, इसलिए कम से कम समय में ग्लूकागन का इंजेक्शन लें, जिससे आपको जल्द ठीक होने में मदद मिलेगी।

मंत्रा केयर – Mantra Care 

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